पृथिवी पर शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ धरà¥à¤® वैदिक धरà¥à¤® और शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ संगठन आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ
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Manmohan Kumar AryaDate
10-Feb-2016Language
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UmeshUpload Date
11-Feb-2016Download PDF
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ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ सतà¥à¤¯ है। किसी à¤à¥€ विषय में सतà¥à¤¯ केवल à¤à¤• ही होता है। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° दो व दो को जोड़ने से चार होता है, कà¥à¤› कम व अधिक नहीं हो सकता इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤°, जीव, पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, सृषà¥à¤Ÿà¤¿, धरà¥à¤®, समाज, मानवीय आचार व विचार आदि सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ न होकर सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° à¤à¤• समान ही होनी चाहिये। यदि यह पूछा जाये कि वेद पर आधारित वैदिक धरà¥à¤® और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ संगठन की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विशेषता कà¥à¤¯à¤¾ है तो इसका à¤à¤• वाकà¥à¤¯ में उतà¥à¤¤à¤° है कि यह धरà¥à¤® व संगठन सतà¥à¤¯ पर आधारित है। दूसरा उतà¥à¤¤à¤° यह है कि वैदिक धरà¥à¤® व आरà¥à¤¯ समाज का संगठन पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° के हित व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठहैं। यह कà¤à¥€ किसी के अकलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की बात न सोचता है और न ही करता है। à¤à¤• अनà¥à¤¯ उतà¥à¤¤à¤° यह à¤à¥€ हो सकता है कि यह दोनों जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर आधारित है तथा अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸, पाखणà¥à¤¡, कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿, रूढि़, मिथà¥à¤¯à¤¾ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ आदि से पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ रहित हैं। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि वेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अरà¥à¤¥ वही सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ होंगे जो सतà¥à¤¯ हों व मानव सहित पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° के हित के लिठहों। यदि कहीं कोई à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ हो तो उसे इस कसौटी पर कस कर संशोधित कर लेना चाहिये। अनà¥à¤¯ मतों, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ वा धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ में सतà¥à¤¯, तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ को वैदिक धरà¥à¤® की à¤à¤¾à¤‚ति महतà¥à¤µ नहीं दिया जाता। तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ से सिदà¥à¤§ बातें ही सतà¥à¤¯ हà¥à¤† करती हैं। इसी से जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की निवृतà¥à¤¤à¤¿ होती है और यही मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¥à¤– व उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ का मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण व आधार है।
वैदिक धरà¥à¤® का आरमà¥à¤ कब, किसने व कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ किया? इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पर विचार करना à¤à¥€ समीचीन है। इसका उतà¥à¤¤à¤° है वैदिक धरà¥à¤® का आरमà¥à¤ चार वेदों ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦, सामवेद और अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में हमारे पहली पीढ़ी के ऋषियों ने किया। यह सà¤à¥€ ऋषि ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ व यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखने के साथ-साथ वेदों के पूरà¥à¤£ वेतà¥à¤¤à¤¾ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। वेदों में जो मनà¥à¤¤à¥à¤° व उनमें अलौकिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है वह किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ व ऋषि दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचित, निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ व उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नहीं है अपितॠयह वेद, इसके मनà¥à¤¤à¥à¤° व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के रचयिता व संचालक ईशà¥à¤µà¤° का निज जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है जो वह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में अमैथà¥à¤¨à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ आदि मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व पà¥à¤°à¥‚षों को, उनके कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾à¤°à¥à¤¥ देता है। चार वेदों का यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ व सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž ईशà¥à¤µà¤° ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि में चार ऋषियों अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ व अंगिरा की आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं में पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया था। ईशà¥à¤µà¤° ने ही जीवातà¥à¤®à¤¾ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर दिये, इन शरीरों में वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के लिठपांच जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, पांच करà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ व बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आदि पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने सहित सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में वेदमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£, परसà¥à¤ªà¤° संवाद à¤à¤µà¤‚ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करना à¤à¥€ सिखाया है। तरà¥à¤• व विवेचन से यह सिदà¥à¤§ है कि यदि ईशà¥à¤µà¤° इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न देता, जिससे कि वह परसà¥à¤ªà¤° संवाद आदि कर सके और सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ में à¤à¥‡à¤¦ कर सकें, तो उनका जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करना संà¤à¤µ नहीं था। मान लीजिठहमें बोलना नहीं आता और हमारे आसपास के अनà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ नहीं आता। हममें जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ नहीं है। à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में हम कà¥à¤¯à¤¾ कोई वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कर सकते हैं? इसका उतà¥à¤¤à¤° है कि हम परसà¥à¤ªà¤° किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का कोई वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° नहीं कर सकते। वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के लिठकिसी न किसी à¤à¤¾à¤·à¤¾ सहित उठने, बैठने, चलने, फिरने, सोचने, समà¤à¤¨à¥‡, खादà¥à¤¯-अखादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨, à¤à¥‹à¤œà¤¨ की विधि, मल-मूतà¥à¤° विसरà¥à¤œà¤¨ आदि सà¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आवशà¥à¤¯à¤• है। अतः सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना के बाद अमैथà¥à¤¨à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के साथ ही उनको ईशà¥à¤µà¤° से जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मिलना तरà¥à¤• संगत है। यही जà¥à¤žà¤¾à¤¨ उसे परमातà¥à¤®à¤¾ से मिलता है और इसी का नाम वेद है।
परमातà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ इसी जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से पà¥à¤°à¤¥à¤® चार ऋषियों से अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨, शिकà¥à¤·à¤¾, पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°, पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ व उपदेश की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ आरमà¥à¤ हà¥à¤ˆ और सà¤à¥€ लोग जà¥à¤žà¤¾à¤¨ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤ यह वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आज à¤à¥€ अपने मूल सà¥à¤µà¤°à¥‚प में सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ लà¥à¤ªà¥à¤¤ हो गया था जिसके कारण देश व विशà¥à¤µ में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का घोर अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° फैला और अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर आधारित अनेक मत व मतानà¥à¤¤à¤° उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦, जो कि वेदों के उचà¥à¤š कोटि के मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चारों वेदों की परीकà¥à¤·à¤¾ कर घोषणा की कि वेद सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• हैं। वेद का पढ़ना व पढ़ाना तथा सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ व सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ वा आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का परम धरà¥à¤® है। अपनी इस घोषणा को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ और ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका आदि अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को लिखकर पà¥à¤·à¥à¤Ÿ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदों के सà¤à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ करना आरमà¥à¤ किया था। ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ आंशिक व यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने किया है। आकसà¥à¤®à¤¿à¤• मृतà¥à¤¯à¥ के कारण वह वेदों के à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ को पूरà¥à¤£ नहीं कर सके। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जितने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखे और उनकी जो शिकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, उपदेश, पतà¥à¤°, पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚, शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के विवरण आदि उपलबà¥à¤§ हैं, उनसे वैदिक धरà¥à¤® का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ होता है। इस पर विचार करने पर यह पूरà¥à¤µ व पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सिदà¥à¤§ होता है। अपने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सà¤à¥€ मतों का तà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है जो वेद को विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के धरà¥à¤® की उनकी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को पà¥à¤·à¥à¤Ÿ करता है।
वेद धरà¥à¤® की पहली विशेषता तो यह है कि वेद की सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ की कसौटी पर सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ होती हैं। वेद, तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से डरता नहीं अपितॠउनका सà¥à¤µà¤¾à¤—त करता है। वेदों की सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की कसौटी पर à¤à¥€ सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ हैं। ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का जो सà¥à¤µà¤°à¥‚प वेदों में उपलबà¥à¤˜ होता है वह अपूरà¥à¤µ व आज à¤à¥€ सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® हैं à¤à¤µà¤‚ विवेक पर आधारित है। अनà¥à¤¯ मतों में यह बात नहीं है। वेदाधारित ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ वा पंचमहायजà¥à¤ž विधि में à¤à¥€ मà¥à¤¨à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का विधान किया गया है जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ की वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त व सामाजिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होने के साथ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ होता है। करà¥à¤®-फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ à¤à¥€ वेद पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤—त ही सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ जो शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤® करता है उसका फल उसे जनà¥à¤® व जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में अवशà¥à¤¯ ही à¤à¥‹à¤—ना होता है। अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— व शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करके तथा साथ हि वेदविहित ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, यजà¥à¤žà¤¾à¤¦à¤¿ कारà¥à¤¯, मातृ-पितृ-आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सेवा, परोपकार व विदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करने से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। यह वैदिक धरà¥à¤® की विशेषता व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¸à¤‚गत सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है।
आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ वेदों के सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को संसार में फैलाने के लिठसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया à¤à¤• संगठन है जिसकी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने 10 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² सनॠ1875 को मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ में की थी। इस संगठन की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के समय में वैदिक धरà¥à¤® का संगठित रूप से पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करना था और उनके बाद à¤à¥€ ‘कृणà¥à¤µà¤¨à¥à¤¤à¥‹ विशà¥à¤µà¤®à¤¾à¤°à¥à¤¯à¤®à¥’ (संसार को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बनाओ) के लकà¥à¤·à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ तक संसार में वेदों का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° अबाधित रूप से हो, यह मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ था। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने पृथिवी के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾à¤°à¥à¤¥ वेदों की सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• व सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¥€à¤¨ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के लिठअनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचना की जिनमें सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ आंशिक व यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं। इन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अनेक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ हैं। गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लेखन के इस सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ कारà¥à¤¯ के अतिरिकà¥à¤¤ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने देश के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर जाकर वैदिक विचारधारा का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया और सà¤à¥€ मतों को अपनी-अपनी धरà¥à¤® व समाज विषयक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं पर शंकाओं का निवारण करने का अवसर दिया। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤•à¥à¤·à¥€ मतों के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शंका समाधान का अवसर देने के साथ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ करने की चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ à¤à¥€ दी और अनेक पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मतों के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ कर वैदिक मत की शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता, जà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤ ता, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¸à¤®à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ व सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ व समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ किया। इसके साथ ही महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने उदयपà¥à¤°, शाहपà¥à¤°, जोधपà¥à¤° आदि अनेक देशी रियासतों के शासकों को à¤à¥€ अपना शिषà¥à¤¯ व अनà¥à¤—ामी बनाया और वहां वैदिक मत की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ में आंशिक सफलतायें पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कीं। अनेक पादरी व मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ à¤à¥€ उनकी मितà¥à¤° मणà¥à¤¡à¤²à¥€ में थे जो उनकी सà¤à¥€ मतों के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सदाशयता के उदाहरण हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने अनेक अवसरों पर हिनà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° सहित गोरकà¥à¤·à¤¾ आदि आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨à¥‹à¤‚ का सूतà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ à¤à¥€ किया जबकि à¤à¤¸à¥‡ कारà¥à¤¯ व उदाहरण पूरà¥à¤µ इतिहास में कहीं उपलबà¥à¤§ नहीं होते। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को फैलाकर विशà¥à¤µ के मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मातà¥à¤° के लिठकलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ वैदिक धरà¥à¤® की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ व विशà¥à¤µ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ में इसकी सà¥à¤µà¥€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में यथाशकà¥à¤¤à¤¿ योगदान किया।
ईशà¥à¤µà¤° इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ का आदि गà¥à¤°à¥‚ है। इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में अब तक उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ सà¤à¥€ आचारà¥à¤¯, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ ईशà¥à¤µà¤° के शिषà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ होते हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने-अपने काल में ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आदि ऋषियों को पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को ही जाना, समà¤à¤¾ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किया। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में ईशà¥à¤µà¤° अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ व अंगिरा को चार वेदों का उपदेश देने से उनका गà¥à¤°à¥‚ व चारों ऋषि ईशà¥à¤µà¤° के शिषà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ होते हैं, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से चार ऋषियों से आरमà¥à¤ आचारà¥à¤¯-शिषà¥à¤¯ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उनके बाद के सà¤à¥€ आचारà¥à¤¯ उसी ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤• सिदà¥à¤§ होते हैं। सचà¥à¤šà¤¾ आचारà¥à¤¯ माता-पिता के समान होता है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से संसार में जितने à¤à¥€ सचà¥à¤šà¥‡ उपदेशक, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व ऋषि आदि हà¥à¤ हैं वह-वह जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤• होने से अपने शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के मातृ-पितृ तà¥à¤²à¥à¤¯ ही रहे हैं। उसी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ का परिणाम ही आज का अनà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¯ विषयक जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। यदि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखते हà¥à¤ उपदेश आदि से उसका देश-देशानà¥à¤¤à¤° में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° न किया होता तो आज का मानव जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ न हो पाता। संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि वह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° हो या मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ का, उनकी सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं वा सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की परीकà¥à¤·à¤¾ कर उनमें विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ सतà¥à¤¯ को ही अपनायें और मिथà¥à¤¯à¤¾ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करें। मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में निहित अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व à¤à¥à¤°à¤® की बातें कि जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में समरसता में बाधा पहà¥à¤‚चती है, उनका तà¥à¤¯à¤¾à¤— करें। सतà¥à¤¯ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ व असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— ही वैदिक धरà¥à¤® व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ सतà¥à¤¯ का पोषक व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• है और विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में वेदों के सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर उनका कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करना चाहता है। वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ के अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ क कारण है, यह निरà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¦ सतà¥à¤¯ है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के संगठन में कà¥à¤› दà¥à¤°à¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हो सकती हैं परनà¥à¤¤à¥ विशà¥à¤µ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की अवधारणा व उसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ सशकà¥à¤¤ रूप ही मानवता के हित में है। वेद और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ विशà¥à¤µ में मानवता को विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रखने की गारणà¥à¤Ÿà¥€ है। इसके साथ विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ के मारà¥à¤— पर अगà¥à¤°à¤¸à¤° करने का à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° संगठन हैं। इसके महतà¥à¤µ को जानकर सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को इसे सहयोग देना चाहिये और अपनी सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करनी चाहिये।
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